दलाल स्ट्रीट पर आज टेक स्टॉक्स ने जोरदार तेजी दिखाई है, जिसने निवेशकों के चेहरों पर मुस्कान लौटा दी है। Nifty IT इंडेक्स में 2% से अधिक की उछाल देखने को मिली है, जबकि इसके सभी 10 घटक शेयर इंट्राडे ट्रेडिंग सेशन में हरे निशान में कारोबार करते नजर आए। यह उल्लेखनीय है क्योंकि यह तेजी ऐसे समय में आई है जब अमेरिका में HIRE Act प्रस्ताव का खतरा मंडरा रहा है, जिसमें ऑफशोरिंग पर टैरिफ लगाने की बात शामिल है।
टेक स्टॉक सेक्टर में यह उछाल मुख्य रूप से तीन प्रमुख कारकों से प्रेरित रही: इंफोसिस के शेयर बायबैक की खबर, रुपये में निरंतर गिरावट, और निवेशकों के रुख में सकारात्मक बदलाव। आइए इन कारकों को विस्तार से समझते हैं।
तेजी का नेतृत्व कर रहे प्रमुख शेयर
आज की खरीदारी पूरे सेक्टर में फैली रही, जो निवेशकों में बढ़ते विश्वास का संकेत देती है। इंफोसिस लगभग 4% की उछाल के साथ शीर्ष गेनर के रूप में उभरा, जबकि विप्रो ने करीब 3% की बढ़त दर्ज की। टेक महिंद्रा, LTIMindtree, HCL Tech, और Coforge जैसे शेयरों ने लगभग 2-3% की प्रभावशाली बढ़त दिखाई। TCS, Persistent Systems, Mphasis और Oracle Financial Services ने भी 1-2% की मजबूत बढ़त हासिल कर निवेशकों का विश्वास जीता।
यह चौतरफा खरीदारी इस बात का संकेत है कि निवेशक सेक्टर की दीर्घकालिक संभावनाओं को लेकर आशावादी हैं, भले ही अल्पकालिक चुनौतियाँ मौजूद हों।
इंफोसिस के बायबैक प्लान ने बढ़ाया उत्साह
इंफोसिस ने एक रेगुलेटरी फाइलिंग में घोषणा की, “इंफोसिस लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स 11 सितंबर, 2025 को आयोजित होने वाली अपनी बैठक में कंपनी के पूर्णतया चुकता इक्विटी शेयरों के बायबैक के प्रस्ताव पर विचार करेंगे। यह प्रस्ताव भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (बाय-बैक ऑफ सिक्योरिटीज) विनियम, 2018 के अनुसार होगा।”
अगर इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो यह कंपनी का तीन साल में पहला बायबैक होगा। इस घोषणा ने न केवल इंफोसिस के शेयरों में तेजी लाई, बल्कि इसने पूरे IT सेक्टर के मूड को ऊपर उठाने का काम किया। शेयर बायबैक का मतलब है कि कंपनी अपने शेयरों को वापस खरीदेगी, जिससे बाजार में शेयरों की संख्या कम हो जाएगी और प्रति शेयर आमदनी (EPS) बढ़ने की उम्मीद होती है। इससे निवेशकों का विश्वास बढ़ता है और शेयरों की मांग में वृद्धि होती है।
रुपये की गिरावट ने दिया फायदा
आज की तेजी का एक और प्रमुख कारण रुपये का अमेरिकी डॉलर के मुकाबले निरंतर कमजोर होना है। रुपया हाल ही में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 88 के स्तर से नीचे खिसक गया और 88.36 के रिकॉर्ड निचले स्तर को छू गया। यह स्थिति भारतीय IT कंपनियों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद साबित हो रही है।
चूंकि IT कंपनियाँ अपना अधिकांश राजस्व डॉलर में कमाती हैं, रुपये की कमजोरी उनके लिए एक वरदान साबित होती है। जब यह डॉलर राजस्व रुपये में परिवर्तित होता है, तो रुपये की गिरावट की वजह से उनकी कमाई और मार्जिन में स्वतः ही वृद्धि हो जाती है। यह उनकी लाभप्रदता को सीधे तौर पर बढ़ावा देता है और शेयरों में निवेशकों की दिलचस्पी बढ़ाता है।
निवेशकों के रवैये में बदलाव
तीसरा प्रमुख कारण निवेशकों के रुख में आया सकारात्मक बदलाव है। हालांकि अमेरिका में HIRE Act प्रस्ताव का खतरा मंडरा रहा है, जिसमें ऑफशोरिंग पर टैरिफ लगाने की बात शामिल है, लेकिन निवेशकों ने अभी इस पर ज्यादा चिंता नहीं दिखाई है। इसकी बजाय, उनका फोकस तात्कालिक सकारात्मक कारकों जैसे बायबैक और मुद्रा लाभ पर रहा है।
इसके अलावा, हाल ही में IT स्टॉक्स में कुछ समेकन देखने को मिला था, जिसके बाद तकनीकी रूप से भी खरीदारी का रुख बना है। निवेशकों को लग रहा है कि दीर्घकालिक दृष्टि से भारतीय IT कंपनियाँ अपने ग्राहक आधार, सेवा की गुणवत्ता और नवाचार के बल पर मजबूत स्थिति में हैं। वे मानते हैं कि ये कंपनियाँ भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हैं।
निष्कर्ष:
संक्षेप में कहें तो आज IT सेक्टर में आई तेजी किसी एकल घटना का परिणाम नहीं, बल्कि कई सकारात्मक कारकों का संयुक्त प्रभाव है। इंफोसिस जैसे सेक्टर दिग्गज के बायबैक की संभावना, रुपये के मूल्य में गिरावट से होने वाला मुद्रा लाभ, और निवेशकों में बढ़ता विश्वास—इन सभी तत्वों ने मिलकर सेक्टर को ऊपर उठाने का काम किया है।
हालाँकि, निवेशकों के लिए यह जरूरी है कि वे अमेरिकी नीतियों जैसे बाहरी जोखिमों पर नजर बनाए रखें, क्योंकि भविष्य में ये बाजार को प्रभावित कर सकते हैं। समझदार निवेशक इन अवसरों का लाभ उठाते हुए भी सतर्कता बरतेंगे। फिलहाल, दलाल स्ट्रीट टेक स्टॉक्स की इस चमक का जश्न मना रही है, और निवेशकों को उम्मीद है कि यह सकारात्मक रुख आगे भी जारी रहेगा। यह तेजी न केवल अल्पकालिक लाभ का अवसर प्रदान करती है, बल्कि भारतीय IT सेक्टर की मजबूती और लचीलेपन का भी संकेत देती है।