हमारा शरीर एक जटिल मशीन की तरह है, जहां हर अंग का अपना एक खास काम होता है। इन्हीं में से एक है पित्त की थैली यानी गॉलब्लैडर। यह एक छोटा, नाशपाती के आकार का अंग होता है जो लीवर के ठीक नीचे स्थित होता है। इसका मुख्य काम लीवर द्वारा बनाए गए पित्त (बाइल) को जमा करना और भोजन को पचाने में मदद करना है। जब हम तैलीय या भारी भोजन करते हैं, तो यह थैली सिकुड़ती है और पित्त को छोटी आंत में छोड़ती है, जिससे वसा का पाचन आसानी से हो पाता है।
लेकिन जब इस छोटे से अंग में कोई गड़बड़ी होती है, तो यह हमें कुछ संकेत देने लगता है। इन शुरुआती संकेतों को पहचानना और समय रहते डॉक्टर से सलाह लेना बहुत जरूरी है। आइए जानते हैं ऐसे ही 5 चेतावनी भरे संकेतों के बारे में।
1. पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द: सबसे स्पष्ट इशारा
अगर आपको पेट के ऊपरी हिस्से में, खासकर दाईं ओर पसलियों के नीचे, बार-बार दर्द होता है, तो यह पित्त की थैली में पथरी या सूजन का पहला और सबसे प्रमुख लक्षण हो सकता है। यह दर्द अचानक शुरू होता है और कई बार इतना तेज होता है कि सहन करना मुश्किल हो जाता है। यह दर्द कुछ मिनटों से लेकर कई घंटों तक रह सकता है और अक्सर तैलीय या भारी भोजन करने के बाद शुरू होता है। कई बार यह दर्द पीठ के ऊपरी हिस्से और दाएं कंधे तक फैल जाता है। अगर यह दर्द लगातार बना रहे या बढ़ता जाए, तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
2. खाने के बाद मिचली आना या उल्टी होना
अगर आपने कुछ तला-भुना खाया है और उसके बाद आपको लगातार जी मिचलाने लगता है या उल्टी हो जाती है, तो इसे सामान्य न समझें। चूंकि पित्त की थैली का मुख्य काम वसा को पचाना है, इसलिए जब यह ठीक से काम नहीं कर पाती, तो भोजन ठीक से नहीं पचता और मिचली जैसी समस्या होने लगती है। अगर यह समस्या बार-बार हो और खासकर तैलीय भोजन के बाद हो, तो यह पित्त की थैली में रुकावट का संकेत हो सकता है। लगातार उल्टी होने से शरीर में पानी की कमी भी हो सकती है, इसलिए इस लक्षण को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
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3. बुखार और ठंड लगना: संक्रमण का खतरा
पेट दर्द के साथ-साथ अगर आपको बुखार आए और ठंड लगकर कंपकंपी छूटने लगे, तो यह एक गंभीर संकेत है। यह ‘कोलेसिस्टिटिस’ नाम की स्थिति का लक्षण हो सकता है, जिसमें पित्त की थैली में संक्रमण या सूजन हो जाती है। यह स्थिति जल्द से जलंत इलाज की मांग करती है, नहीं तो संक्रमण शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकता है और जानलेवा भी हो सकता है। ऐसे में घरेलू उपचार पर निर्भर रहने के बजाय तुरंत अस्पताल जाना ही सही विकल्प है।
4. मल और मूत्र के रंग में बदलाव
हमारे शरीर की छोटी-छोटी चीजें हमें बहुत कुछ बता जाती हैं। अगर आपके मल (टट्टी) का रंग सामान्य से हल्का (पीला या मिट्टी जैसा) हो गया है और पेशाब का रंग गहरा पीला या भूरा हो रहा है, तो यह पित्त की थैली में रुकावट का एक महत्वपूर्ण संकेत है। दरअसल, मल को उसका सामान्य भूरा रंग पित्त से ही मिलता है। जब पित्त की नली में पथरी फंस जाती है, तो पित्त आंतों तक नहीं पहुंच पाता, जिससे मल का रंग बदल जाता है और पेशाब का रंग गहरा हो जाता है। यह एक अहम चेतावनी है जिसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
5. आंखों और त्वचा का पीला पड़ना (पीलिया)
अगर आपकी आंखों का सफेद हिस्सा या त्वचा हल्के पीले रंग की दिखने लगे, तो यह पीलिया का लक्षण है। यह तब होता है जब पित्त की नली में रुकावट की वजह से पित्त खून में मिलने लगता है। पीलिया दिखना एक गंभीर समस्या का संकेत है जिसमें लीवर भी प्रभावित हो सकता है। यह पित्त की थैली की बीमारी का एक उन्नत चरण है, लेकिन यह शुरुआती चेतावनी के तौर पर भी दिख सकता है। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर के पास जाना जरूरी है।
डॉक्टर को कब दिखाएं?
अगर आपको ऊपर बताए गए में से कोई भी लक्षण लगातार या गंभीर रूप से महसूस हो रहा है, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। खासकर अगर:
पेट में तेज दर्द कई घंटों से है।
बुखार और ठंड लग रही है।
लगातार उल्टी हो रही है।
त्वचा या आंखों में पीलापन दिखे।
जीवनशैली और आहार में बदलाव
पित्त की थैली की समस्याओं से बचाव के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरूरी है।
संतुलित आहार लें: ताजे फल, हरी सब्जियां और साबुत अनाज को अपने भोजन में शामिल करें।
फाइबर युक्त भोजन: फाइबर युक्त आहार पित्त की थैली के स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है।
हेल्दी फैट: जैतून के तेल जैसे स्वस्थ वसा का इस्तेमाल करें। तले-भुने और प्रोसेस्ड खाने से परहेज करें।
वजन पर नियंत्रण: मोटापा पित्त की पथरी का एक प्रमुख कारण है, इसलिए स्वस्थ वजन बनाए रखें। लेकिन एकदम से तेजी से वजन कम करने से बचें, क्योंकि इससे भी पथरी बनने का खतरा रहता है।
नियमित व्यायाम: रोजाना कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि जरूर करें।
उपचार के विकल्प
पित्त की थैली की समस्याएं आमतौर पर इलाज से ठीक हो जाती हैं। अगर पथरी है लेकिन कोई लक्षण नहीं दिख रहे, तो डॉक्टर सिर्फ निगरानी की सलाह दे सकते हैं। लेकिन अगर दर्द, संक्रमण या रुकावट है, तो उपचार जरूरी हो जाता है। कई मामलों में, डॉक्टर ‘कोलेसिस्टेक्टोमी’ नाम की सर्जरी करके पूरी पित्त की थैली ही निकाल देते हैं। यह एक सुरक्षित ऑपरेशन है और इसके बाद व्यक्ति सामान्य जीवन जी सकता है, क्योंकि यह अंग जीवन के लिए absolutely जरूरी नहीं है। आजकल यह ऑपरेशन लैप्रोस्कोपिक तकनीक (keyhole surgery) से किया जाता है, जिसमें चीरा बहुत छोटा होता है और मरीज जल्दी ठीक हो जाता है।
निष्कर्ष:
पित्त की थैली की समस्या कोई मामूली बात नहीं है। इसके संकेतों को पहचानना और समय रहते सजग हो जाना ही सबसे बड़ा इलाज है। अपने शरीर की आवाज सुनें। अगर आपको ऊपर बताए गए कोई भी लक्षण दिखाई दें, तो डॉक्टर से परामर्श करने में देरी न करें। एक छोटी सी सावधानी आपको बड़ी मुश्किल से बचा सकती है और आपको स्वस्थ जीवन जीने में मदद कर सकती है।